Motivational kahani:- दोस्त आज लेके आया हूँ एक ऐसी best Motivational kahani in hindi जो आपको success होने के लिए एक ऊर्जा देगी, और अपने देश से आपके लगाव को और ज्यादा बड़ा देगी।

यह कारगिल और Indian Army से जुडी motivational story in Hindi for success है जो वास्तव में आपकी सफलता में एक बड़ा योगदान दे सकती है। 

Motivational kahani

Motivational kahani
अगर मेरे फर्ज की राह में मौत भी रोड़ा बनी, तो में कसम खाता हूँ मौत को भी मार दूँगा। 

ये शब्द कहे थे, आज से 20 साल पहले 3 जुलाई 1999 को एक भारतीय सैनिक ने, जिसने बहादुरी और वीरता की वो गाथा लिखी, जो आज हर भारतीय को सम्मान महसूस कराती है।
  • 24 साल की उम्र में देश के लिए उन्होने अपने दम तोड़ दिए थे, लेकिन ये जाने से पहले कारगिल युद्ध की जित हमें दे चुके थे। 
दोस्त भारत में सर्वोच्च वीरता पदक परम-वीर चक्र है, और इन्होने कारगिल युद्ध में अपनी वो वीरता और पराक्रम दिखाई जिसके रहते इन्हे मरणोपरांत परम-वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कोई भी माँ हो, माँ हमेशा अपने बच्चों से प्रेम करती है, माँ ने एक बार अपने मातृत्व भाव से कह दिया -
  • युद्ध में बेटा तू अपने जवानों को आगे भेजना और तू पीछे रहना। 
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उन्होंने बहुत खूबसूरत सा जवाब दिया। माँ यदि मुझपे मुसीबत आयी तो पहले आप आगे आएगी या मुझे भेजती, माँ ने कहा बेटा में आगे आउंगी। 

उन्होंने कहा-
  • मेरे जवान मेरे बच्चों की तरह है, पहले में आगे जाऊँगा और फिर वे आएँगे। 
माँ को समझ आ गया की ये देश प्रेम है। 

में चाहता हूँ हर भारतीय को पता चले की वो ऐसे देश में जन्मे है, जिस देश की धरती में अनेक शुर-वीर पैदा हुए है। और आज हमें अपने सैनिकों पर गर्व होना चाहिए। 
  • 25 जून 1975 मनोज कुमार पांडेय का जन्म उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के रुधा गांव में हुआ था। वह नेपाल की सीमा के काफी करीब थे। 
  • मनोज कुमार पांडेय, एक बिलकुल गरीब घर में रहा करते थे, उनकी पढ़ाई सैनिक स्कूल लखनऊ से हुई।
  • वहा से उन्होंने अनुशासन देश-प्रेम सीखा, उनको देश प्रेम के प्रति प्रेरित करने में उनकी माँ का ही हाथ था। 

Motivational Story in Hindi for your Success

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वह बचपन से ही अपनी माँ से वीरता की कहानियाँ सुनते आ रहे थे, और उन्होंने भारतीय सैना में जाने का मन बना लिया था। 

देश प्रेम के रहते उन्होंने आगे जाकर NDA में दाख़िला लिया, और प्रशिक्षण पूरा कर, वे बतौर एक प्रामाणिक अधिकारी 11 वीं गोरखा रायफ़ल्स की पहली बटालियन में पहुँच गए। 

और मनोज कुमार पांडेय को कश्मीर घाटी में तैनात किया गया।
अगर तुजे मौत से डर नहीं लगता तो या तू झूठ बोल रहा है या तू गोरखा है- जनरल मानेकशॉ
कारगिल युद्ध - आपको बता दू की जब सैना में भर्ती के दौरान

मनोज कुमार पांडेय से सवाल किया गया था की आप सैना में क्यूँ भर्ती होना चाहते है?

उनका जवाब सुन वहा खड़ा हर शख्स चौंक गया, जब उन्होंने कहा - मुझे परम-वीर चक्र चाहिए

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उन्होंने युद्ध के दौरान अपनी माँ को एक आख़िरी खत लिखा- 
  • आप लोग ईश्वर से प्रार्थना करो की में जल्द ही दुश्मन को पराजित कर वापस आ जाऊ।
  • माँ ने जवाब में लिखा बेटा कुछ भी हो जाए पीछे पैर मत रखना, और इससे मनोज में एक अलग सी ताकत आ गयी थी।
कूंच से पहले मनोज का प्रोमोशन हुआ और उन्हें कप्तान बना दिया गया। और खालूबार को फ़तह करने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी दी गयी। 

मनोज 2 से 3 जुलाई को मिशन खलुबार के लिए अपनी टीम के साथ निकल चुके थे। और उस जंग का एलान हुआ जिस जंग को निर्णायक जंग कारगिल कहा जाता है। 
  1. कारगिल युद्ध बहुत ही कठिन और ऊँची चोटिओ पर लड़ा गया था। 
  2. जो पूरी बर्फ से ढकी हुई थी। 
  3. यह पाकिस्तान की लंबी तैयारी का नतीजा भी था। 
इसलिए कारगिल युद्द बहोत ही विशेष युद्ध था। 
  • ऊपर दुश्मन नीचे की हर हरकत पर नजर डाले था, एक तरफ पाकिस्तानी घुसपैठिये लगातार भारतीय सैनिकों को चुप कर निशाना बना रहे थे।
  • जैसे ही पाकिस्तानी सैना को मनोज की हरकत का पता चला तो ऊपर से उनपर गोली-बारी करना शुरू कर दिया।
  • वह बिना कुछ परवाह काउंटर अटैक और हैंड ग्रे-नाइट फेंकते हुए आगे बढ़ते रहे।

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अपने कुशल नेतृत्व से पहले तो अपने साथिओ को एक सुरक्षित जगह तक ले पहुंचे, और वो वक्त रात का वक्त था। 

कप्तान मनोज चाहते थे की सुबह होने से पहले वे खालूबार के ऊपर पूरी तरह से कब्ज़ा कर ले, क्योंकि सुबह होते ही पाकिस्तानी घुसपैठिये उनकी हरकतों को देख पाएंगे। 
  • पहले तो खलुबार की पहली पोस्ट पर आमने-सामने की लड़ाई में पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया।
  • उसके बाद दूसरे बंकर से पाकिस्तानी सैनिकों को मार उस बंकर को भी ध्वस्त कर दिया। 
मनोज पांडेय अपने साथिओ का हौसला बढ़ाते हुए आगे बड़े और 
  • तीसरे बनकर को भी उखाड़ दिया लेकिन, एक गोली उनके कंधे पे और एक पैर में लग चुकी थी। 
मनोज पांडे अपने घावों की वजह से रुके नहीं वे 
  • चौथे बंकर की ओर बड़े और जोर से गोरखा पल्टन का खिल्ली लगाया, उसी के साथ एक हैंड ग्रे-नाइट चौथे बंकर पर फेंक दिया। 
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तभी दुश्मन की ऊपर से अँधा-धुंध फ़ायरिंग में एक गोली उनके सर में लगी, लेकिन उनके फेंके गए ग्रे-नाइट का निशाना अचूक रहा। 
  • चौथे बंकर पर वो जा लगा और उसे तबाह कर गया लेकिन हम अपने देश का 24 वर्षीय नौजवान खो बैठे थे। 
लेकिन जाते जाते नेपाली भाषा में मनोज कुमार पांडे ने आख़िरी शब्द कहे थे - 
  • ना छोड्नु, जिसका मतलब होता है, किसीको भी छोड़ना मत। 
उन आख़िरी शब्दों ने बाकी जवानों को इतना उत्तेजित कर दिया था की बाकी सभी खुखरी निकाल कर बाकी के बचे दुश्मन पर टूट पड़े थे। 

वहा वो नज़ारा बहुत खतरनाक हो गया था 
  • पांच पांच फिट के गोरखाओ ने छे - छे फिट के पठानों के सर धड़ से अलग कर दिए थे। 
और अंत में विजय-श्री हासिल कर तींरंगा लहराया। 

तींरंगे से लिपटे ताबूत में जब इस वीर शहीद का शव लोटा तो पुरे देश के लोगो की आँखों में पानी था।

My Final Word:- 

Motivational Kahani in Hindi 

इस Motivational kahani से में आपको एक जित के जज्बे को दिखाना चाहता हूँ, ये बताना चाहता हूँ की वे लोग बड़ा काम कर पाते है। जो अपने काम के प्रति बहोत focus होते है।

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Note:- I have heard and read all this and have tried to explain to you in my language so that you can benefit from it, Thank you.